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ये कर्ज जानलेवा है! जानें-जाल में कैसे फंसाते हैं फटाफट लोन देने वाले ऐप्स, क्या रखें सावधानी?

मिनटों में लोन देने वाले ऐप्स के झांसे में आकर लोग बर्बाद हो रहे हैं. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे दक्षिण भारत के राज्यों में कई लोगों ने सुसाइड कर लिया है. यह असल में पूरा एक रैकेट है जिसमें कई चीनी नागरिक भी शामिल हैं. भारतीय रिजर्व बैंक बार-बार चेता रहा है, फिर भी लोग इनके जाल में फंस रहे हैं.

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इंस्टैट लोन ऐप्स से लोन लेना घातक (प्रतीकात्मक फोटो: PTI)
इंस्टैट लोन ऐप्स से लोन लेना घातक (प्रतीकात्मक फोटो: PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जानलेवा साबित हो रहे इंस्टैंट लोन ऐप
  • मिनटों में खाते में आ जाता है लोन
  • एक बार जाल में फंसे तो जीवन नरक कर देते हैं

मिनटों में लोन देने वाले ऐप्स (Apps)  के झांसे में आकर लोग बर्बाद हो रहे हैं. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे दक्षिण भारत के राज्यों में कई लोगों ने सुसाइड कर लिया है. यानी ऐप्स से मिनटों में मिलने वाले ये लोन जानलेवा साबित हो रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बार-बार चेता रहा है. आइए जानते हैं कि ये ऐप्स किस तरह से लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं और इनसे किस तरह से सचेत रहना चाहिए? 

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यह असल में पूरा एक रैकेट है, जिसमें चीन, इंडोनेशिया तक के नागरिक शामिल हैं और कई छापों में ऐसे लोग पकड़े भी गये हैं. इनमें ज्यादा अनाधिकृत लोग लगे हैं जिन्हें रिजर्व बैंक जैसे नियामक से लोन देने का अधिकार नहीं मिला है, इसके बावजूद वे खुलेआम मिनटों में लोन का ऑफर देकर लोगों को फंसा रहे हैं. हालत यह है कि एक परिवार के महीने के मोबाइल फोन-इंटरनेट बिल जितना कर्ज लेने पर कुछ नागरिकों को जान देनी पड़ रही है. 

लॉकडाउन के दौरान अचानक ऐसे ऐप काफी एक्टिव हो गये, क्योंकि बहुत से लोगों की नौकरियां चली गयीं. रोज कमाने-खाने वाले करोड़ों लोगों के पास कोई काम नहीं रहा. ऐसे लोगों के लिए ये ऐप सहारा बनकर आए, लेकिन ये साधु के वेश में शैतान की भूमिका निभा रहे हैं. 

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क्या होता है इंस्टैंट या फटाफट लोन 

इसमें अक्सर ग्राहक से तीन महीने का बैंक स्टेटमेंट, आधार कार्ड या पैन कार्ड की कॉपी लेकर तुरंत यानी कुछ मिनटों में ही लोन दे दिया जाता है. कई बार ऐसे कागजात न रहने पर भी लोन दे दिया जाता है. ऐसे ज्यादातर ऐप चीन के हैं और उनका किसी भी बैंक या गैर बैंकिंग संस्थान (NBFC) से कोई नाता नहीं है. 

इसे देखें: आजतक LIVE TV 

कैसे फंसाते हैं

जब कर्जदार गूगल प्ले स्टोर से ऐसे ऐप डाउनलोड करते हैं तब ही यह शर्त स्वीकार कराई जाती है कि ऐप को उनकी पर्सनल डिटेल (जैसे फोटो गैलरी) और कॉन्टैक्ट लिस्ट साझा की जा रही है.जब कोई ग्राहक इस ऐप को डाउनलोड कर जरूरी दस्तावेज अपलोड करता है तो उसके कुछ मिनटों के बाद ही उसके बैंक एकाउंट में रकम डाल दी जाती है. इसके बाद शुरू होता है एक दुष्चक्र.

ऐसे करीब 20-30 ऐप्स के टेलीकॉलर ग्राहक को फोन कर बताते हैं कि उनके अच्छे रिकॉर्ड की वजह से उनकी कंपनी भी उन्हें लोन देना चाहती है. वे बताते हैं कि उन्होंने जिस ऐप से लोन लिया है उससे उन्हें आपके अच्छे रिकॉर्ड का पता चला है. बहुत से ग्राहक इस लालच और जाल में फंस जाते हैं और बिना जरूरत भी ढेर सारा लोन लेते हैं. 

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ऐसे ऐप 30 से 35 फीसदी का सालाना ब्याज तो लेते ही हैं. उससे ज्यादा भयावह बात यह है कि वे ड्यू डेट पर लोन न मिलने पर प्रति दिन 3,000 रुपये तक की पेनाल्टी लगा देते हैं. इसकी वजह से ही कई ग्राहक दूसरे ऐप से लोन लेने के झांसे में फंस जाते हैं. 

इस तरह की लुभावनी बातों में ​फंसाते हैं 

  • चंद मिनट की प्रक्रिया के बाद 1 हजार से 50 हजार तक का लोन 
  • कर्ज भरने की मियाद 7 दिन से कुछ महीनों के भीतर तक 
  • कोई इनकम प्रूफ नहीं मांगेंगे
  • कर्ज तुरंत खाते में डालेंगे

कैसे कर देते हैं लोगों का जीना मुहाल

इसके बाद इनके टेलीकॉलर और रिकवरी एजेंट इस तरह से लोगों को प्रताड़ित करते हैं कि उनका जीना हराम हो जाता है. यहां तक कि ये कंपनियां लोन लेने वाले लोगों के पर्सनल डिटेल सोशल मीडिया पर शेयर कर उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर देती हैं और इतने सामाजिक अपमान से क्षुब्ध होकर कई लोग आत्महत्या जैसा चरम कदम भी उठा चुके हैं. 

पहले उन्हें दर्जनों कॉल कर परेशान किया जाता है. फिर उनके परिवार के सदस्यों को फोन कर धमकाया जाता है और गालियां दी जाती हैं. इसके बाद भी अगर कोई लोन नहीं चुका पाता तो उसके कॉन्टैक्ट लिस्ट के लोगों, दोस्तों को फोन कर, उन्हें व्हाट्सऐप मैसेज भेजकर ग्राहक को अपमानित किया जाता है.

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यही नहीं प्रताड़ना के लिए उसकी पर्सनल जानकारी भी सोशल मीडिया पर साझा कर दी जाती है. उन्हें चीटर बताया जाता है. उनके यहां फर्जी लीगल नोटिस भेजी जाती है. 

पहले ही काट लेते हैं बड़ी रकम 

यही नहीं कई ऐप तो लोन देने के पहले ही प्रोसेसिंग फीस और जीएसटी के नाम पर बड़ी रकम काट देते हैं. उदाहरण के लिए यदि कोई 5 हजार रुपये का लोन ले रहा है तो उससे प्रोसेसिंग और जीएसटी के नाम पर 1180 रुपये तक की रकम काटकर महज 3,820 रुपये दिए जाते हैं. 

प्रताड़ना के तरह-तरह के तरीके 

  • समय पर नहीं भरा तो कई गुना पेनाल्टी लगाएंगे 
  • किस्त न चुकाने पर डेली 3000 रुपए तक की पेनल्टी लगा देते हैं 
  • किस्त नहीं दी तो लोन लेने वाले की फोटो सार्वजनिक कर देते हैं 
  • पर्सनल डिटेल सोशल मीडिया पर शेयर कर उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर देते हैं 
  • उनको फोन कर तरह-तरह की गालियां देते हैं 
  • कर्जदार के कॉन्टैक्ट लिस्ट के लोगों को फोन कर उसे बदनाम कर देते हैं
  • परेशान होकर कर्ज लेने वाले कई लोग जान दे देते हैं  
प्रतीकात्मक फोटो: Reuters


रिजर्व बैंक ने चेतावनी दी है 

भारतीय रिजर्व बैंक ने सवालों के घेरे में आई डिजिटल मनी लेंडिंग ऐप्स को लेकर ग्राहकों को सचेत रहने की चेतावनी दी है. इस तरह के ऐप्स के द्वारा कई कंपनियां लुभावनी ब्याज दर पर सेकंडों में कर्ज का वादा करती हैं उसके बाद बकाये की वसूली के लिए जोर-जबरदस्ती करती हैं. 

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क्या सावधानी रखें

रिजर्व बैंक ने कहा है, 'ग्राहकों को कभी भी केवाईसी दस्तावेजों की प्रति बगैर पहचान वाले व्यक्ति, अपुष्ट/अनाधिकृत ऐप को नहीं देना चाहिए और ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए इस तरह के ऐप और बैंक खाते की सूचना सचेत पोर्टल के माध्यम से संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को देनी चाहिए.'

चेक करें कि लोन रजिस्टर्ड NBFC से मिल रहा है या नहीं

रिजर्व बैंक ने कहा है कि किसी भी ऐसे ऐप या अनाधिकृत व्यक्ति को अपनी केवाईसी के दस्तावेज न दें. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि सभी डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्मों को उस बैंक या एनबीएफसी का खुलासा ग्राहकों के सामने करना चाहिए, जिनके माध्यम से वे लोन देने का वादे करते हैं.

रिजर्व बैंक की वेबसाइट में पंजीकृत एनबीएफसी का नाम और पता जाना जा सकता है और पोर्टल के माध्यम से इकाइयों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. 

लोन लेने के वैकल्पिक रास्ते देखें 

इसके अलावा आप लोन लेने के दूसरे सुरक्षित विकल्प भी चुन सकते हैं जैसे सरकारी या दिग्गज निजी बैंकों से गोल्ड लोन, बैंकों के पर्सनल लोन, एफडी के बदले लोन, एलआईसी पॉलिसी पर लोन, अपने संस्थान से पीएफ के बदले या कर्मचारियों को मिलने वाला लोन आदि. 


 

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